टीवी जनरलिज्म के क्षेत्र में आती है यह चुनौतियां जिन्हें आप जानकर हैरान रह जाओगे
न्यूजरूम यानी पत्रकारों की कर्मभूमि यहां कहीं भी घटित हो ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में भारत की राजधानी दिल्ली के किसी कोने में या फिर देश के दूरदराज के किसी गांव में वह कहानी की शक्ल न्यूज़ रूम में ही अख्तियार करती है
खबरों को पाठकों क्या दर्शकों तक पहुंचाने के लिए आखिरी प्रयत्न न्यूज़ रूम में ही किए जाते हैं एक खबर के पीछे न जाने कितने पत्रकार काम करते हैं और तब जाकर वह पाठकों और दर्शकों तक पहुंचती है.
किसी भी घटना की जानकारी मिलने की रिपोर्टर मौके पर पहुँचता है तरह तरह से वह घटना के बारे में जांच पड़ताल करता है
सारी जानकारियां सारे विजुअल्स वइट वगैरह लेकर न्यूज़ रूम में आता है न्यूजरूम में सीनियर पत्रकार उस घटना और उसके प्रभाव को अपने स्तर पर जांच दे सकते और तरसते हैं वह यह देखते हैं कि खबर पूरी तरह कंप्लीट है या नहीं क्या इस खबर में कहां कब क्या क्यों और कैसे आदि सवालों के जवाब मिलते हैं या नहीं क्या इस जानकारी के बावजूद पाठकों या दर्शकों के मन में कोई सवाल रह जाएगा?
खबरों को दर्शकों तक पहुंचने से पहले न्यूज़ रूम में ही इस कसौटी पर खरा उतरना होता है किसी घटना के होने और उसे अखबार के पाठकों तक पहुंचने के दरमियान समय का फ़ासला अलग अलग हो सकता है लेकिन टीवी न्यूज़ के मामले में यह फैसला हमेशा कम होता है
अखबार में किसी खबर के प्रकाशन के लिए एक निश्चित डेडलाइन होती है लेकिन चैनल आपको हर पल खबर पहुँचाता है और लगातार उसके अपडेट भी आपको देता रहता है यह कह सकते हैं कि टीवी न्यूज़ चैनल में हर पल एक नई डेडलाइन पर काम चलता रहता है दूसरी ओर अखबार के मामले में ऐसी बातें नहीं यदि कोई घटना उस 10:00 बजे दिन में हो रही है
तो प्रातः कालीन अखबार के पाठकों को उसकी जानकारी सुबह के संस्थान यानी मॉर्निंग एडिशन में ही मिलेगी शाम के अखबार के पाठकों को यह जानकारी उसके एडिशन के समय से ही मिलेगी लेकिन न्यूज़ चैनल पर यह जानकारी आपको तत्काल मिलती है
क्योंकि कोई बड़ी घटना के वक्त तो टीवी का रिपोर्टर सीधे मौके से ही ओबी वैन के जरिए सीधी तस्वीरें लोगों तक पहुंचाता है और उसकी जानकारी भी देता है.
टीवी चैनलों में खबरों के आने और उसके दर्शकों तक पहुंचने के बीच समय का फासला काफी कम होता है इसलिए चैनल के न्यूज़ रूम में हड़बड़ी और घबराहट का कहें की खबर को जल्द से जल्द दर्शक तक पहुंचाने की छटपटाहट हर पल दिखाई पड़ती है
खबरों को दर्शकों तक पहुंचाने की यही जल्दबाजी या तेजी टीवी पत्रकारों की सबसे बड़ी चुनौती है हर बड़ी खबर को अपने दर्शकों तक जल्दी से जल्दी पहुंचाने की होड़ टीवी के न्यूज़ रूम में गर्मी पैदा करती है न्यूज़ चैनलों के बीच अपने दर्शकों तक सबसे पहले खबर पहुंचाने की हो अब जाग जाहिर है
हर चैनल पर पत्रकार चाहता है कि कोई भी खबर सबसे पहले उसके चैनल पर ही चले खबरों को दर्शकों तक पहुंचाने के लिए एक टीवी पत्रकार को जहां पत्रकारिता के मानदंडों का ख्याल रखना होता है वही प्रसारण की जुड़ी तमाम तकनीकी पा जाए और उलझने भी उससे मुकाबला करने को तैयार रहती है.
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