गढ़वाल की लोकप्रिय गायिका मीना राणा के संगीतमय जीवन की सुरुवात
उत्तराखण्ड की आन बान और सान जिसके मधुर स्वर ने यहाँ के हर एक व्यक्ति को अपना दीवाना बनाया है
उत्तराखण्ड एक ऐसा राज्य हैं जहां की धरती देव भूमि कहलाती है और इस धरती ने भारत को अनेक कलाकारों का जन्म दिया है
मीना राणा का जन्म शनिवार 24 मई 1975 को दिल्ली में हुवा था जो एक गढ़वाली परिवार था हालांकि इनके माता पिता के बारे मैं ज्यादा जानकारी नहीं है
सुरु किया मीना सिंह राणा जी ने अपना करियर
मीना राणा जी ने अखण्ड तपस्या के बाद ही अपना किश्मत को आजमाया उन्होंने सर्वा प्रथम गढ़वाली फिल्म “नौनी पिछाड़ी नौनी ” 1992 मै
मीना राणा ने गढ़वाली के अलावा अन्य भाषाओ मै भी अपने गाने रिकॉर्ड किये है जैसे
- गढ़वाली
- कुमाऊनी
- जौनपुरी
- जोनसारी
- भोजपुरी
- राजस्थानी
- करगली
- लद्दाखी
लद्दाखी में मीना राणा जी 500 से अधिक गाने लिख चुकी है मीना राणा जी ने उत्तरखण्ड मशहूर स्वर समार्ट नरेंद्र सिंह नेगी जी के साथ भी
- गजेंद्र सिंह राणा
- प्रीतम भरतवाण
- फौजी ललित मोहन जोशी
- अनिल बिष्ट
- मंगलेश डंगवाल
- आदी
मीना राणा जी का दामपत्य जीवन
1 दिसम्बर 2001 को मीना राणा जी की सादी जब संजय कुमोला जी के साथ हुवा जो की मशहूर संगीत प्रोडूसर है जिनका सुरभि मल्टी ट्रेक साऊंड स्टूडियो नाम से एक स्टूडियो है।
- 2010 में मीना राणा जी उत्तराखण्ड सीने पुरुष्कार मिला ( पल्या गो का मोहना )
- 2011 में मीना राणा जी उत्तराखण्ड सीने पुरुष्कार मिला ( ओ बुलोणु यो पहाड़ )
- 2012 में मीना राणा जी उत्तराखण्ड सीने पुरुष्कार मिला (हम उत्तराखण्डी छा )
- और भी कई पुरुस्कार मिले है जिनकी जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है।