फुलारी यानी फूल देइ का पर्व उत्तराखण्ड का लोक पर्व है। इसको चैत के महीने की संक्रांति को, जब ऊंची पहाड़ियों से बर्फ पिघल जाती है,
सर्दियों के मुश्किल दिन बीत जाते हैं, उत्तराखंड के पहाड़ बुरांश के लाल फूलों की चादर ओढ़ने लगते हैं, तब पूरे इलाके की खुशहाली के लिए फूलदेई का त्योहार मनाया जाता है।
ये त्योहार आमतौर पर किशोरी लड़कियों और छोटे बच्चों का पर्व है।
बच्चे कंडी (टोकरी) में खेतों-जंगलों से फूल चुनकर लाते हैं जिसमें बुरांस फ्यूली और नाना प्रकार के फूल सामिल हैं।
को चुनकर लाते हैं चैत्र की पहली गते से छोटे-छोटे बच्चे हाथों में कैंणी जो की बांस से बनी सुन्दर आकर में बनी होती है
और साथ में एक घोगा भी रखा होता है। जिसको नाचते नाचते हर घर में प्रकृति की नये मौसम के आगमन का सन्देश देते हैं।
अंग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार फरवरी, मार्च और अप्रैल माह में वसंत ऋतु रहती है।
इसके दौरान बाल पर्व के रूप में पहाड़ी जन-मानस में प्रसिद्ध फूलदेई त्यौहार पर्व के रूप में मानते इ=है बच्चों का हर घर में फूल देने का कार्यक्रम 8 दिनों तक चलता रहता है।