गुप्त नवरात्रि में साधना सिद्ध कुंजिका मंत्र से चमेगी आपकी किश्मत

गुप्त नवरात्रि में साधना सिद्ध कुंजिका मंत्र : यहाँ हम आपको गुप्त नवरात्रि में साधना सिद्ध कुंजिका मंत्र के बारे में बता रहे हैं लेकिन आपको जानना जरुरी है की नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना की जाती है। आमतौर पर लोग दो प्रमुख नवरात्रियों को जानते हैं लेकिन एक वर्ष में दो नहीं बल्कि चार नवरात्रियां होती हैं। वैसे तो इन दोनों अन्य नवरात्रों में भी मां दुर्गा की पूजा की जाती है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक सिद्धि प्राप्ति के लिए सिद्ध कुंजिका मंत्र साधना करते हैं। लेकिन इसके अलावा दैवीय शक्ति होना भी स्वीकार किया जाता है।

नौ दिनों तक नौ देवियों की पूजा की जाती है। माघ मास की इस साल की सबसे यादगार गुप्त नवरात्रि पांचवीं से शुरू हो चुकी है और चौदह फरवरी तक चलेगी। इस दौरान नवरात्रि के दौरान सभी असुविधाओं को दूर करने और धन, ऐश्वर्य, आनंद और सद्भाव प्राप्त करने के लिए सिद्ध कुंजिका स्तोत्र प्रस्तुत करें। इस स्त्रोत के पाठ से मनुष्य के अस्तित्व में आने वाली समस्याएँ और बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं।

गुप्त नवरात्रि में साधना सिद्ध कुंजिका मंत्र

मन्त्र साधना के लिए तांत्रिक लोग अलग अलग तरह की पूजा इस गुप्त नवरात्रि को करते हैं जिसमें की कुछ इस मन्त्र का जाप करते हैं ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”  नवरात्रि में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की चर्चा करना अत्यंत शुभ होता है। इस स्तोत्र के पाठ से मनुष्य के अस्तित्व में आने वाली समस्याएँ और बाधाएँ समाप्त हो जाएँगी। जो व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में मां दुर्गा के इस उदाहरण का स्मरण करता है, उसके सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं। साथ ही प्रचुरता, वैभव, आनंद, समरसता प्राप्त होती है। जिसमें कुछ मन्त्र निम्नलिखित हैं।

श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका मंत्र

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्। येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।। न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्। न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।। कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्। अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।

  • गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति। मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्। पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।”
  • नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि। नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।। नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।
  • जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे। ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।
  • क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते। चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।
  • विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।। धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी। क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।
  • हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।। अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।। पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।।
  • सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।। इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
  • अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।। यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्। न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।। ।
Krish Bankhela

I am 23 years old, I have passed my master's degree and I do people, I like to join more people in my family and my grandmother, I am trying to learn new every day in Pau. And I also learn that I love to reach my knowledge to people

Previous Post Next Post