कुलधरा गांव का रहस्य राजस्थान :- राजस्थान जैसलमेर का ऐसा गांव जिसके नाम से ही लोगों के अंदर कुलधरा गांव का खौफ पैदा हो जाता है ऐसा गांव जिसका रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया। कुलधरा गांव का रहस्य को जानने के लिए आज भी लोग तरसते हैं। भारतीय सांस्कृतिक विरासत का यह कुलधरा गांव अपने मैं खूबसूरती को बखूबी समाये हुए है। कुलधरा गांव अपने आप मैं एक रहस्य बना हुआ है, कुलधरा गांव की खूबसूरती बेमिषाल है यह कुलधरा गांव हमारी सांस्कृतिक बिरासत होने के साथ-साथ कई रहस्य समाये हुए है। कुलधरा गांव को कुलधर ( kuldhar ) नाम से भी जाना जाता है यह गांव एक शापित गांव है जिसको लोग भूतों के गांव के नाम से जानते हैं। यह कुलधरा यानी कुलधर गांव भारत के राजस्थान, जैसलमेर मैं स्तिथ गांव 13 सताब्दी मैं पालीवाल ब्राह्मणो द्वारा बसाया हुआ गांव है। कुलधरा गांव जैसलमेर से 18 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम मैं हैं इस गांव के बीचों बीच मैं माता रानी का मंदिर भी मौजूद है तथा इस गांव चारों दीवारें मौजूद हैं।
लक्ष्मी चंद द्वारा रचित पुस्तक तवारिख-ए-जैसलमेर के अनुसार, एक पालीवाल ब्राह्मण जिसका नाम कधान था वह व्यक्ति इस गांव मैं सर्वप्रथम आया था। और कधान नाम के व्यक्ति ने कुलधर यानि कुलधरा गांव मैं एक तालाब का निर्माण किया था जिसका नाम उन्होंने उधानसर रखा था।
कुलधरा गांव का रहस्य क्या है।
पुरातत्व बैज्ञानिको का मानना है की यह गांव पानी की कमी के कारण नष्ट हो गया था लेकिन स्थानीय लोगों और कुछ किवदंतियों के अनुसार, यह गांव। मैं बहुत समय पहले कुलधरा रियासत मैं दीवान सलीम सिंह नाम का दीवान हुआ करता था जिसको अपने ही गांव की लड़की से बहुत प्रेम था। लेकिन उसका प्रेम गलत नजरों से परिपूर्ण था वह लड़की जिससे वह प्रेम करता था वह गांव के मदिंर मैं पुजारी की सुन्दर कन्या थी।
जिसको दीवान सालीम सिंह किसी भी कीमत पर हासिल करना चाहता था। दीवान सालीम सिंह उस लड़की को पाने की पूरी जिद पकड़ दी थी। सलीम सिंह स्वभाव से हटी और क्रूर किस्म का था जो गांव वालों से भी कभी प्यार से पेश नहीं आता था। हमेशा गुस्से मैं रहता और राक्षसी प्रविर्ती का था। यह बात सबको पता चल चुकी थी की दीवान सलीम पुजारी की बेटी से प्रेम करता है तो कुलधरा गांव मैं चौपाल मैं बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक के दौरान सभी गांव वासियों ने कहा यह हमारी गांव के जवान कुंवारी लड़की के सम्मान और आत्मसम्मान को गहरा आघात पहुंचाने कार्य किया है। जिससे हम अब गांव मैं नहीं रह सकते जो हमारे नियमों का उलंघन है पूरा गांव ने सोच बिचार कर यह फैसला लिया की अब वो कुलधर गांव मैं नहीं रहेंगे। जिसमें सभी पालीवाल ब्राह्मणो समेत 5000 से अधिक कुलधरा गांव के परिवारों ने गांव छोड़ने का निर्णय ले लिया था। तब अगली सुबह पालीवाल ब्राह्मणो ने इस गांव को श्राप दिया जिसके प्रकोप से आज यह गांव सुनसान बीरान और रूहानी ताकतों के कब्जे मैं है।
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जहां अब कोई इंशान तो दूर की बात कोई परिंदा तक पर नहीं मरता है अगर कोई जाता है तो यह रूहानी ताकतें लोगो को अपना अहसास भी कराती है। लेकिन कुलधरा गांव रहस्य का यह सिलसिला अभी भी जारी है……