Anisha Ranghar biography
Anisha Ranghar biography : अनिशा रांगड़, उत्तराखंड की एक प्रमुख युवा गायिका और लोक कलाकार हैं, जिनका संगीत पहाड़ी संस्कृति और परंपरा को समर्पित है। अपनी मधुर आवाज और बेहतरीन गायन के लिए जानी जाने वाली अनिशा ने उत्तराखंड के लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनका संगीत न केवल पहाड़ी गीतों की विरासत को जीवित रखता है, बल्कि यह युवाओं के बीच अपनी पहचान बना चुका है। 1 अक्टूबर 2000 को उत्तराखंड के टिहरी जिले में जन्मी अनिशा ने अपनी शिक्षा और करियर में कई प्रमुख मील के पत्थर हासिल किए हैं, और अब वह उत्तराखंड के सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया भर में फैलाने के लिए समर्पित हैं।
अनीशा रांगढ की उम्र ( anisha ranghar age )
Anisha Ranghar husband name
अनिशा रांगड़, जो कि उत्तराखंड की लोकप्रिय युवा गायिका हैं, ने 23 नवंबर 2024 को उत्तराखंड के शिक्षक विजय जोशी के साथ विवाह किया। यह विवाह समारोह उत्तराखंड के एक छोटे से शहर में संपन्न हुआ, जिसमें उनके परिवार, दोस्तों और संगीत जगत से जुड़े लोगों ने भाग लिया।
Vijay Joshi , जो एक शिक्षक हैं, और अनिशा रांगड़ की मुलाकात एक सामाजिक कार्यक्रम में हुई थी, जहां अनिशा ने अपने संगीत कार्यक्रम से लोगों को मंत्रमुग्ध किया था। दोनों के बीच एक गहरी मित्रता विकसित हुई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। विजय जोशी एक साधारण और समर्पित व्यक्ति हैं, जो अनिशा के संगीत और कला की गहरी सराहना करते हैं।
अनिशा रांगड़ का विवाह समारोह पारंपरिक उत्तराखंडी रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ, जिसमें पहाड़ी संस्कृति की झलक देखने को मिली। विवाह के इस खास अवसर पर उनके परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, और करीबी दोस्त उपस्थित थे। इस समारोह की खास बात यह रही कि यह एक सादे लेकिन सुंदर आयोजन के रूप में सामने आया, जिसमें सादगी और उल्लास का मिश्रण था।
अनिशा और विजय की जोड़ी
अनिशा और विजय की जोड़ी |
विजय जोशी और अनिशा रांगड़ की जोड़ी को उनके प्रशंसक और परिवार दोनों ही बहुत पसंद करते हैं। अनिशा ने विवाह के बाद अपनी सोशल मीडिया पर इस खुशखबरी को अपने फैंस के साथ साझा किया और अपनी शादी के कुछ खूबसूरत पलों की तस्वीरें भी पोस्ट की।
उनके विवाह के बाद के समारोह में उत्तराखंड की संस्कृति और पारंपरिक संगीत का भी बड़ा योगदान था। अनिशा ने अपने पति विजय के साथ कई गीतों और लोक संगीत के कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि उनका जीवन एक-दूसरे के लिए एक प्रेरणा है।
अनिशा रांगड़ और विजय जोशी की भविष्य की योजनाएँ
विवाह के बाद, अनिशा और विजय दोनों ने अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को संतुलित करने का निर्णय लिया है। अनिशा, जो पहले से ही उत्तराखंड के लोक संगीत को बढ़ावा दे रही हैं, अब अपने जीवन साथी के साथ इस यात्रा को और आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। उनका मानना है कि यह विवाह उनके संगीत करियर को और भी नया दिशा देने वाला साबित होगा, क्योंकि विजय जोशी भी उनकी कला को बहुत सम्मान देते हैं।
साथ ही, अनिशा और विजय दोनों ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने और उसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए कई परियोजनाओं पर विचार किया है। अनिशा का मानना है कि उनका जीवन अब एक नई शुरुआत हो चुका है, और वे अपने संगीत के माध्यम से समाज को और भी ज्यादा योगदान देना चाहती हैं।
1. प्रारंभिक जीवन और परिवार
अनिशा रांगड़ का जन्म 1 अक्टूबर 2000 को उत्तराखंड राज्य के टिहरी जिले में हुआ। उनके परिवार का संबंध उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से है, और बचपन से ही उन्हें संगीत का खजाना मिला। उनके माता-पिता, श्रीमती पवित्रा देवी और श्री राकेश रांगड़ ने हमेशा उन्हें अपनी संस्कृति और धरोहर को संजोने के लिए प्रेरित किया। अनिशा का परिवार संगीत, कला और साहित्य में गहरी रुचि रखने वाला था, और इसने उन्हें छोटे-छोटे गीतों और लोक संगीत में अपनी पहचान बनाने की दिशा दी।
2. शिक्षा और करियर की शुरुआत
अनिशा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा टिहरी जिले में प्राप्त की, जहां उन्होंने स्थानीय स्कूल में पढ़ाई की। उनकी शिक्षा का वातावरण पहाड़ी जीवन और संस्कृति से प्रभावित था, जो उनके संगीत को और भी अधिक जीवंत बनाता था। उन्हें बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भी गहरी रुचि थी, खासकर गायन में।
3. संगीत यात्रा और पहचान
अनिशा रांगड़ के संगीत करियर की शुरुआत उनके गढ़वाली और कुमाऊंनी लोक गीतों से हुई। उत्तराखंड के लोक संगीत में गहरे रचनात्मक और सांस्कृतिक तत्व होते हैं, जो अनिशा के गायन में सुनाई देते हैं। उनके गीतों में पहाड़ी जीवन की सच्चाई, संघर्ष, प्रेम और परंपरा की झलक मिलती है, जो उनके प्रशंसकों को जोड़ती है।
4. सोशल मीडिया और सार्वजनिक जीवन
अनिशा रांगड़ सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम, यूट्यूब, फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके अपने प्रशंसकों के साथ संवाद किया और अपने संगीत का प्रसार किया। उनकी फेसबुक पेज "Anisha Ranghar Folk Singer Uttarakhand" पर हजारों प्रशंसक उन्हें फॉलो करते हैं, जहां वे अपने नए गीतों, कार्यक्रमों और संगीत समारोहों की जानकारी साझा करती हैं।
5. शादी और निजी जीवन
अनिशा रांगड़ का व्यक्तिगत जीवन उनकी कला और करियर से जुड़ा हुआ है, लेकिन उनके निजी जीवन के बारे में कम जानकारी उपलब्ध है। वह अपने पेशेवर जीवन और संगीत को लेकर काफी गंभीर हैं और इसे अपने जीवन का मुख्य उद्देश्य मानती हैं। हालांकि, उनके फैंस और मीडिया के बीच उनकी शादी और निजी जीवन के बारे में जिज्ञासा बनी रहती है, लेकिन अनिशा ने कभी भी अपने व्यक्तिगत जीवन को सार्वजनिक रूप से नहीं साझा किया है।
6. सामाजिक कार्य और पुरस्कार
अनिशा न केवल एक गायिका हैं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। उन्होंने अपनी आवाज़ का उपयोग समाज में बदलाव लाने के लिए किया है। कोविड-19 के दौरान, अनिशा ने "कोरोना योद्धा" के रूप में कई जागरूकता अभियान चलाए और लोगों को इस महामारी के प्रति जागरूक किया। उनके सामाजिक कार्यों के कारण उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें कोरोना योद्धा सम्मान, उत्तरांचल शिशु लोक गौरव सम्मान, और उत्तरी भारतीय लोक कला पुरस्कार शामिल हैं।
लोकगीत और प्रमुख गाने
- गढवाली गीत - "म्हारो गांव" (Maro Gaon)
- कुमाऊंनी गीत - "प्यार की बात" (Pyar Ki Baat)
- उत्तराखंडी गीत - "कैलास के दर्शन" (Kailash Ke Darshan)
- लोकगीत - "ब्याह की रसम" (Byah Ki Rasam)
- गढवाली गीत - "पहाड़ी जीवन" (Pahadi Jeevan)
- कुमाऊंनी लोकगीत - "मृत्यु का गीत" (Mrityu Ka Geet)
- प्रेरणादायक गीत - "उम्मीद की किरण" (Umeed Ki Kiran)
- माँ के गीत - "माँ का आशीर्वाद" (Maa Ka Aashirwad)
- फोक सॉन्ग - "प्यार और विश्वास" (Pyar Aur Vishwas)
- उत्तराखंडी गीत - "कैलास की ओर" (Kailash Ki Or)
7. भविष्य की योजनाएँ
अनिशा रांगड़ का भविष्य बहुत उज्जवल है। वे अपनी संगीत यात्रा को और आगे बढ़ाने के लिए निरंतर नए गीतों और परियोजनाओं पर काम कर रही हैं। उनका लक्ष्य उत्तराखंड के लोक संगीत को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। वे लोक संगीत के साथ-साथ भारतीय संगीत उद्योग में भी अपनी पहचान बनाना चाहती हैं।
अनिशा रांगड़ का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण और कला के माध्यम से न केवल उत्तराखंड के लोक संगीत को नया जीवन दिया है, बल्कि भारतीय संगीत जगत में भी अपनी विशेष पहचान बनाई है। वे आगे भी अपने गीतों और संगीत के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का कार्य करती रहेंगी।