निधि हत्याकांड में इंसाफ: हैदर अली को फांसी और रिहान को उम्रकैद, पिता-पुत्र अधिवक्ता की जोड़ी ने दिलाया न्याय

24 अप्रैल 2021 को उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के रुड़की शहर के कृष्णानगर मोहल्ले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी। कृष्णानगर की गली नंबर 20, टीचर्स कॉलोनी में रहने वाले दिनेश नामक व्यक्ति ने गंगनहर कोतवाली में एक तहरीर दी थी जिसमें उसने बताया कि सफरपुर गांव निवासी हैदर अली उसकी बहन निधि को लगातार परेशान कर रहा है और शादी के लिए दबाव बना रहा है। निधि ने शादी से साफ इंकार कर दिया था लेकिन हैदर अली अपनी जिद पर अड़ा रहा।

निधि हत्याकांड में इंसाफ: हैदर अली को फांसी
निधि हत्याकांड में इंसाफ: हैदर अली को फांसी

हत्याकांड की भयावहता

घटना वाले दिन 24 अप्रैल 2021 की दोपहर को हैदर अली अपने साथी रिहान उर्फ आरिश उर्फ राहिल (निवासी शाहपुर, गंगनहर) और एक अन्य व्यक्ति के साथ दिनेश के घर में घुस आया। तीनों ने मिलकर निधि पर चाकू से हमला किया और गला रेतकर उसकी हत्या कर दी। इस निर्मम हत्या के बाद पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। पुलिस ने तत्काल मामले की गंभीरता को समझते हुए मुकदमा दर्ज किया और तत्कालीन कोतवाल मनोज मैनवाल के नेतृत्व में कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद मामले की जांच तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अमरजीत सिंह को सौंपी गई।

पुलिस जांच और आरोप पत्र

जांच के बाद 5 अप्रैल 2022 को पुलिस ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रुड़की (हरिद्वार) रमेश सिंह की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। इस मामले में तीसरे आरोपी को विधि विवादित किशोर घोषित किया गया और उसका मामला किशोर न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया। मुख्य आरोपी हैदर अली और रिहान उर्फ आरिश के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में हुई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने पर्याप्त साक्ष्य और गवाह प्रस्तुत किए।

कानूनी लड़ाई में अधिवक्ता की भूमिका

इस केस में सबसे अहम भूमिका अधिवक्ता संजीव वर्मा और उनके बेटे, हाईकोर्ट अधिवक्ता ने निभाई। पिता-पुत्र की इस कानूनी जोड़ी ने न सिर्फ अदालत में ठोस पैरवी की, बल्कि सुनिश्चित किया कि मुख्य आरोपी हैदर अली की जमानत याचिकाएं बार-बार खारिज होती रहें। उन्होंने अदालत के सामने ऐसे तथ्यों को रखा जो आरोपी की मंशा और अपराध की गंभीरता को स्पष्ट करते थे।

अदालती फैसला और सजा

अंततः, न्यायालय ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर मुख्य आरोपी हैदर अली को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई। इसके अलावा अदालत ने हैदर अली पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। वहीं, उसके साथी रिहान उर्फ आरिश को सश्रम आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

परिवार की प्रतिक्रिया और संतोष

कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़िता निधि उर्फ हंसी के परिजनों ने राहत की सांस ली और अधिवक्ता संजीव वर्मा का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि संजीव वर्मा ने पूरी ईमानदारी और समर्पण से केस की पैरवी की और निधि को न्याय दिलाया।

सामाजिक संदेश और न्याय प्रणाली

इस हत्याकांड ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि यदि पीड़ित पक्ष को सही कानूनी सहयोग मिले और प्रशासन तत्परता दिखाए तो कोई भी अपराधी कानून से नहीं बच सकता। निधि की हत्या से उत्पन्न जनाक्रोश और सामाजिक संवेदना को न्यायपालिका ने गंभीरता से लिया और त्वरित न्याय सुनिश्चित किया। यह निर्णय उत्तराखंड की न्याय व्यवस्था में एक उदाहरण बन गया है।

महिलाओं की सुरक्षा और अदालत की सजगता

फैसले से यह स्पष्ट होता है कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर न्यायपालिका सजग है और किसी भी अपराध के प्रति कठोर रुख अपनाया जा रहा है। इस घटना में जिस प्रकार अधिवक्ता पिता-पुत्र की जोड़ी ने न्याय के लिए लड़ाई लड़ी, वह समाज के लिए एक प्रेरणा है।

न्याय का प्रतीक बना मामला

यह मामला कानूनी प्रक्रिया की पारदर्शिता, निष्पक्षता और त्वरित न्याय का प्रतीक बन गया है। उत्तराखंड में यह पहली बार नहीं है जब किसी आरोपी को महिला पर हुए अपराध के लिए फांसी की सजा सुनाई गई हो, लेकिन यह मामला इसलिए अलग है क्योंकि इसमें एक अधिवक्ता परिवार ने सामाजिक दायित्व को समझते हुए निर्भीकता से न्याय की लड़ाई लड़ी।

निधि को मिला न्याय

निधि उर्फ हंसी के परिवार ने भले ही अपनी बेटी को खो दिया, लेकिन उन्हें इस बात की संतुष्टि है कि उनकी बेटी को न्याय मिला। इस फैसले ने समाज में यह संदेश भी दिया है कि कोई भी अपराधी कानून से ऊपर नहीं है और हर अपराध का न्यायिक परिणाम तय है।

न्यायिक तंत्र और समाज की सुरक्षा
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया है कि यदि पुलिस, न्यायपालिका और अधिवक्ता मिलकर काम करें तो न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है और समाज को एक सुरक्षित दिशा दी जा सकती है।

Previous Post Next Post

Contact Form