क्यों इन कुत्तों को हटाने का फैसला हुआ, जो कुत्ते आपकी दुकान की रखवाली करते थे, रात को सुनसान इलाकों में आपको छोड़ने आते थे, रात के अँधेरे में गौ तस्करों को खदेड़ने का काम करते थे, वो अब नहीं दिखेंगे। जो संदिग्ध गतिविधि भांप कर भोंकने का काम करते थे। जो बिना सैलरी के रात भर आपके मुहले की ड्यूटी किया करते है वो अब एक सेलटर में बंद हो जायेंगे। दिल्ली के 10 लाख आवारा कुत्ते, 8 हफ्ते का अल्टीमेटम, और एक ऐसा फैसला जिसने पूरे देश को दो हिस्सों में बांट दिया है! सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली से सभी आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है? और यह सिर्फ दिल्ली नहीं, बल्कि गुरुग्राम, नोएडा, गाज़ियाबाद - पूरे NCR के लिए है। और आपके शहर में भी हो सकता है। लेकिन यहां ट्विस्ट यह है - पशु प्रेमी सड़कों पर उतर गए हैं, सेलिब्रिटीज़ चिल्ला रहे हैं, और मेनका गांधी भी नाराज़ हैं! तो आखिर क्या है पूरा मामला? क्यों कुत्तों को हटाने का आदेश हुआ और CCTV से कुत्तों पर क्यों नजर रखी जा रही है. चलिए जानते हैं।
11 अगस्त 2025 का दिन भारत के पशु कल्याण के इतिहास में काला दिन माना जाएगा या सुनहरा दिन - यह तो समय बताएगा! इस दिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने एक ऐसा फैसला सुनाया जिसे सुनकर दिल्ली के 10 लाख आवारा कुत्तों की जिंदगी ही बदल गई! कोर्ट ने कहा - 'हमें जो भी तरीके से हो सके, कुत्ता-मुक्त इलाका बनाना है!' सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश था: 8 हफ्ते के अंदर सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में भेजना होगा, 5000 कुत्तों के लिए तत्काल शेल्टर बनाना होगा, CCTV लगाकर यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई कुत्ता वापस न निकले, 4 घंटे के अंदर कुत्ते के काटने की शिकायत पर एक्शन लेना होगा और सबसे बड़ी बात - जो भी इस काम में बाधा डालेगा, उसे कोर्ट की अवमानना का सामना करना पड़ेगा!
अब आता है असली ड्रामा! जैसे ही यह फैसला आया, पशु प्रेमियों में तहलका मच गया, PETA इंडिया के शौर्य अग्रवाल ने कहा कि यह फैसला 'अव्यावहारिक, अतार्किक और कानून के विपरीत है!' उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि दिल्ली में 10 लाख कुत्ते हैं और केवल आधे की ही नसबंदी हुई है! वहीँ मेनका गांधी ने कहा कि यह 'गुस्से में आया हुआ फैसला है और गुस्से के फैसले कभी समझदारी के नहीं होते! उन्होंने बताया की दिल्ली में 3 लाख आवारा कुत्ते हैं, 3000 शेल्टर बनाने होंगे, 15,000 करोड़ रुपये खर्च आएगा, तो क्या दिल्ली के पास इतना पैसा है?
लेकिन रुकिए, यहीं खत्म नहीं हुआ! इंडिया गेट पर प्रदर्शन शुरू हो गए! 40-50 पशु प्रेमी गिरफ्तार हुए! कनॉट प्लेस में हंगामा हुआ! , राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि 'ये मूक आत्माएं मिटाने वाली समस्याएं नहीं हैं!' प्रियंका गांधी ने कहा कि कुत्ते सबसे खूबसूरत और कोमल जीव हैं! जान्हवी कपूर और वरुण धवन जैसे बॉलीवुड सितारों ने भी इंस्टाग्राम पर अपनी आपत्ति जताई! वे बोले - 'वे इसे उपद्रव कहते हैं, हम इसे दिल की धड़कन कहते हैं!'
लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू भी है! यूनाइटेड रेजिडेंट ज्वाइंट एक्शन (URJA) के अध्यक्ष अतुल गोयल ने कहा कि 'कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं!' उनका कहना है कि यह आदेश इस समस्या से राहत दिलाने में मदद करेगा!, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि 'दिल्ली के लोग आवारा कुत्तों से तंग आ गए हैं!' उन्होंने साफ शब्दों में कहा - 'समस्या विशालकाय रूप ले चुकी है!
दिल्ली में कुत्तों के काटने वाले आंकड़े बताते हैं 2024 में दिल्ली में कुत्तों के काटने के 6,890 मामले दर्ज हुए, जनवरी से जून 2025 तक 35,198 घटनाएं हुईं!, भारत में हर 10 सेकंड में एक कुत्ता किसी को काटता है, सालाना 37 लाख लोग कुत्तों के हमले का शिकार होते हैं! धीरज अहुजा जिसके बेटे पर आवारा कुत्ते ने हमला किया था, उसने कहा कि 'यह फैसला बहुत जरूरी था!' लेकिन वो चाहते हैं कि इंसान और जानवर दोनों सुरक्षित रह सकें! "
इंडिया टुडे की ग्राउंड रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली है! दिल्ली में एक भी स्थायी डॉग शेल्टर नहीं है! केवल 20 स्टेरलाइज़ेशन सेंटर हैं जिनकी कुल क्षमता 2,500 कुत्तों की है! गुरुग्राम की स्थिति और भी खराब है! 50,000 आवारा कुत्ते हैं लेकिन केवल दो शेल्टर हैं - हर एक में सिर्फ 50 कुत्तों की जगह! नोएडा में तो हाल और भी बुरा है! 1.5 लाख आवारा कुत्तों का अनुमान है लेकिन सिर्फ 4 प्राइवेट शेल्टर हैं! वहीँ प्रति कुत्ते पर महीने भर में 3,000 रुपये खर्च आएगा, 10 लाख कुत्तों के लिए सिर्फ खाने पर ही 300 करोड़ रुपये महीना! खर्च हो सकता है। कुल मिलाकर 15,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी
डॉ यासीन हुसैन जो दिल्ली के एक वेटेरिनरियन हैं, उन्होंने कहा - 'यह बेसोचा-समझा और मनमाना फैसला है!' उनका सवाल है कि 'इतने कम समय में इतने सारे शेल्टर कैसे बनाए जा सकते हैं?' निखिल महेश जो 'उमीद फॉर एनिमल्स फाउंडेशन' के संस्थापक हैं, उन्होंने तो और भी तल्खी से कहा - 'यह सुप्रीम कोर्ट के जज का बचकाना आदेश है!' उनका कहना है कि 'इसे चुनौती दी जानी चाहिए!' "
Animal Birth Control Rules 2023 साफ साफ कहते हैं कि आवारा कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी जगह छोड़ना होगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था! यह कानून है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं नियमों को 'बेतुका' कह दिया! जस्टिस पारदीवाला ने कहा - 'अभी कानून को किनारे रखकर हकीकत का सामना करो!, वकील निशांक माट्टू का कहना है कि 'कानून के हिसाब से बस वही कुत्ता हटाया जा सकता है जो रेबीज से पीड़ित हो!' बाकी सभी को नसबंदी के बाद वापस छोड़ना होगा! सबसे बड़ी विरोधाभास यह है कि मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके महेश्वरी की बेंच ने बिल्कुल उल्टा फैसला दिया था! उस समय कहा गया था कि 'सभी जीवों के लिए करुणा एक संवैधानिक मूल्य है!' चीफ जस्टिस बीआर गवई को भी यह बात समझ आ गई है! उन्होंने कहा है कि वे इस मामले पर नज़र रखेंगे! क्योंकि एक ही कोर्ट के दो अलग बेंच बिल्कुल विपरीत फैसले कैसे दे सकती हैं? Trinamool Congress के सांसद साकेत गोखले ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की है! उनका कहना है कि 8 हफ्ते में पर्याप्त शेल्टर बनाना 'लगभग असंभव' है! "
अब तमाम तालीलों के बाद बात आती करते हैं फायदे और नुकसान की! क्या होगा यदि कुत्तों को हटाया जाये। सबसे पहले सार्वजनिक सुरक्षा सबसे बड़ा फायदा है! बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं बिना डर के सड़क पर चल सकेंगे! राहत मिलेगी उन लाखों लोगों को जो रोज इस डर से घर से निकलते हैं! रेबीज के मामलों में कमी आएगी! भारत में विश्व की 36% रेबीज मौतें होती हैं! हर 3 घंटे में कम से कम 2 लोग रेबीज से मरते हैं! साफ-सफाई में सुधार होगा! आवारा कुत्ते रोज 15,000 टन मल और 80 लाख गैलन पेशाब सड़कों पर फैलाते हैं!
लेकिन नुकसान होगा जरा वो भी देखिये- इकोसिस्टम का नुकसान होगा! अंबिका शुक्ला (People For Animals की ट्रस्टी) चेतावनी देती हैं कि 'वैक्यूम इफेक्ट' हो सकता है! मतलब जब स्थानीय कुत्ते हट जाएंगे, तो और आक्रामक कुत्ते बाहर से आ जाएंगे! मुंबई के उदाहरण देखिए - जब कुत्तों की संख्या कम हुई तो बिल्लियां, चूहे, सांप, और बंदरों की संख्या बढ़ गई! नई समस्याएं पैदा हुईं! शेल्टर में बीमारियों का खतरा भी है! लेप्टोस्पायरोसिस, मैंज, और पार्वोवायरस जैसी बीमारियों के फैलने का डर है! तमिलनाडु, केरल, और मुंबई में पहले भी ऐसे आउटब्रेक हुए हैं! भावनात्मक नुकसान भी है! हजारों लोग इन कुत्तों को अपना परिवार मानते हैं! वे रोज इन्हें खाना खिलाते हैं, प्यार करते हैं! तो आगे क्या होने वाला है?
अच्छी खबर यह है कि चीफ जस्टिस बीआर गवई ने वादा किया है कि वे इस मामले को देखेंगे! हो सकता है कि फैसले में संशोधन हो, मद्रास हाईकोर्ट भी इसी तरह का आदेश तमिलनाडु के लिए देने पर विचार कर रहा है! तमिलनाडु में इस साल 3.67 लाख लोग कुत्तों के काटने का शिकार हुए हैं और 20 लोगों की मौत हुई है! सबसे अच्छा समाधान क्या हो सकता है? इस पर एक्सपर्ट्स का सुझाव है ABC प्रोग्राम को मजबूत बनाना, बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाये जाएँ, कम्यूनिटी फीडिंग जोन्स बनाना, पेट ट्रेड पर बैन लगना, अडॉप्शन कैंपेन चलाना बहुत आवश्यक होगा।
नीदरलैंड, भूटान, और नेपाल जैसे देशों ने ('Catch-न्यूटर Vaccinate-Return') यानि पकड़ो-नपुंसक बनाओ-टीका लगाओ-वापस करो प्रोग्राम से सफलता पाई है! अंत में मैं यह कहूंगा कि यह केवल कुत्तों का मामला नहीं है! यह हमारी सभ्यता का टेस्ट है!