नैनीताल के ओखलकांडा स्कूल में दसवीं कक्षा का एकमात्र छात्र परीक्षा में फेल हो गया। जांच के दौरान पाया गया कि वह छात्र पढ़ाई में बहुत कमजोर था और उसे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की श्रेणी में रखा जा सकता था। लेकिन, इस छात्र की शिक्षा पर स्कूल प्रशासन और शिक्षकों ने ध्यान नहीं दिया। इसके अलावा, कक्षा 6 से 10 तक पढ़ने वाले अन्य 12 बच्चों का शैक्षिक स्तर भी संतोषजनक नहीं था, जो बताता है कि स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता बेहद खराब थी।
इस घटना के बाद उत्तराखंड के शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया। पहले तो स्कूल के प्रधानाचार्य के वित्तीय अधिकार छीनकर उन्हें अटल उत्कृष्ट जीआईसी-पतलोट के प्रधानाचार्य को सौंप दिए गए हैं। इसके अलावा, स्कूल के सभी शिक्षकों को शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए एडवर्स एंट्री (नकारात्मक मूल्यांकन) दी जाएगी। इस कार्रवाई का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचा जा सके।