Dharmasthala mass burial case: कर्नाटक के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल धर्मस्थल में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने दावा किया है कि उसे 1995 से 2014 तक सैकड़ों शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया था। यह व्हिसलब्लोअर, जो दलित समुदाय से है, का कहना है कि इन शवों में से अधिकतर महिलाओं और बच्चों के थे जिन पर यौन हिंसा के निशान थे।
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dharmasthala mass burial case |
धर्मस्थल का परिचय
धर्मस्थल कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में स्थित एक 800 साल पुराना प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है लगभग 75 किलोमीटर पूर्व में पश्चिमी घाट की तलहटी में नेत्रावती नदी के तट पर स्थित है। यह मंदिर अपनी धार्मिक सद्भावना के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि यह जैन हेगड़े परिवार द्वारा प्रशासित है, हिंदू वैष्णव पुजारियों द्वारा संचालित है, और भगवान मंजुनाथेश्वर (शिव) की पूजा की जाती है।
व्हिसलब्लोअर के आरोप- मुख्य दावे
48 वर्षीय दलित व्यक्ति, जो धर्मस्थल मंदिर प्रशासन में सफाई कर्मचारी के रूप में काम करता था, ने 3 जुलाई 2025 को पुलिस के सामने एक विस्तृत शिकायत दर्ज की। उसके मुख्य दावे हैं:
- 1995 से 2014 तक सैकड़ों शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया
- अधिकतर पीड़ित महिलाएं और बच्चे थे जिन पर यौन हिंसा के स्पष्ट निशान थे
- कई शवों पर गला घोंटने के निशान और एसिड जलने के निशान थे
- उसे धमकी दी गई थी कि अगर वह इनकार करेगा तो उसे भी मार दिया जाएगा
विशिष्ट घटनाएं
व्हिसलब्लोअर ने कई विशिष्ट घटनाओं का वर्णन किया है:
- 2010 में कल्लेरी में एक 12-15 साल की स्कूली छात्रा का शव मिला था जिसकी स्कूल यूनिफॉर्म थी लेकिन अंडरगारमेंट्स गायब थे
- एक 20 साल की महिला का चेहरा एसिड से जला हुआ था और अखबार से ढका हुआ था
- गरीब भिखारियों की हत्या कमरों में कुर्सी से बांधकर और तौलिये से गला घोंटकर की जाती थी
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि-पिछले मामले
धर्मस्थल में यौन हिंसा और हत्या के मामले दशकों से चर्चा में रहे हैं:
सौजन्या मर्डर केस (2012)
- * 17 वर्षीय कॉलेज छात्रा सौजन्या का 9 अक्टूबर 2012 को बलात्कार और हत्या हुई थी
- * उसका शव नेत्रावती नदी के पास मिला था, हाथ पेड़ से बंधे हुए थे
- * मुख्य आरोपी संतोष राव को 2023 में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया
- * पीड़ित के परिवार का आरोप है कि असली अपराधी मंदिर प्रशासन से जुड़े थे
अनन्या भट्ट लापता केस (2003)
- मणिपाल मेडिकल कॉलेज की प्रथम वर्ष की छात्रा अनन्या भट्ट 2003 में धर्मस्थल यात्रा के दौरान लापता हो गई
- उसकी मां सुजाता भट्ट, जो CBI में स्टेनोग्राफर थीं, को पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करने से मना कर दिया गया
- उन्हें अपहरण कर धमकी दी गई और हमला किया गया, जिसके बाद वे तीन महीने कोमा में रहीं
पद्मलता केस (1986)
- 1986 में पद्मलता नाम की एक कॉलेज छात्रा रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गई थी
- 56 दिन बाद उसका शव नेत्रावती नदी में हाथ-पैर बंधी अवस्था में मिला था
- यह मामला भी अनसुलझा रह गया था
विशेष जांच दल (SIT) का गठन- SIT की स्थापना
कर्नाटक सरकार ने 19 जुलाई 2025 को इन गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया:
SIT के सदस्य:
- अध्यक्ष: डीजीपी प्रणब मोहंती (आंतरिक सुरक्ष प्रभाग)
- सदस्य: DIG एम.एन. अनुचेत (भर्ती प्रभाग)
- सदस्य: IPS अधिकारी सौम्यलता एस.के.
- सदस्य: SP जितेंद्र कुमार दयामा (आंतरिक सुरक्षा प्रभाग)
SIT की चुनौतियां
- IPS अधिकारी सौम्यलता ने व्यक्तिगत कारणों से SIT से हटने का अनुरोध किया है
- 20 अतिरिक्त पुलिस अधिकारियों को जांच टीम में शामिल किया गया है
- मीडिया पर प्रतिबंध लगाए गए हैं - एक अदालत ने 8,842 लिंक हटाने का आदेश दिया है
मंदिर प्रशासन की प्रतिक्रिया
धर्मस्थल मंदिर के प्रवक्ता के. पार्श्वनाथ जैन ने 20 जुलाई को बयान जारी किया:
"सत्य और विश्वास समाज की नैतिकता और मूल्यों की सबसे मजबूत नींव हैं। हमारी ईमानदारी से उम्मीद और मांग है कि SIT इस मामले में उच्चतम स्तर की जांच करे और सच्चाई को सामने लाए।"
वीरेंद्र हेगड़े का विवादास्पद व्यक्तित्व
डॉ. डी. वीरेंद्र हेगड़े धर्मस्थल के 21वें धर्माधिकारी हैं जो 1968 से इस पद पर हैं:
पुरस्कार और सम्मान
- पद्म भूषण
- पद्म विभूषण
- कर्नाटक रत्न
- राज्यसभा सदस्य (2022 से)
विवाद
- सौजन्या हत्या मामला उनके परिवार से जुड़ा हुआ है
- कई अनसुलझे मामलों में उनका नाम आता रहा है
वर्तमान स्थिति और जांच - जांच की प्रगति
- व्हिसलब्लोअर को गवाह सुरक्षा योजना के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है
- उसने कंकाल के अवशेष अदालत में पेश किए हैं
- फॉरेंसिक जांच चल रही है
- SIT ने औपचारिक रूप से जांच शुरू की है
सामाजिक प्रभाव
यह मामला पूरे भारत में चर्चा का विषय बना है:
- महिला आयोग ने जांच की मांग की थी
- कई परिवार अपने लापता सदस्यों के बारे में सामने आए हैं
- धार्मिक संस्थानों की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं
धर्मस्थल बड़े पैमाने पर दफनाने का मामला भारत के धार्मिक संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दों को उजागर करता है। यह मामला न केवल न्याय की तलाश में है बल्कि दशकों से चले आ रहे अन्याय और मौनता को तोड़ने का प्रयास भी है। SIT की जांच के परिणाम इस ऐतिहासिक मामले में न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।