देहरादून में संस्कृति सम्मान से सम्मानित हुए प्रख्यात लेखक एस.आर. हरनोट, बोले – “संस्कृति और पर्यावरण का गहरा रिश्ता”

देहरादून, 28 सितंबर 2025। राजधानी देहरादून के सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में रविवार को आयोजित भव्य समारोह में हिमाचल प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता एस.आर. हरनोट को ‘नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान’ से सम्मानित किया गया। उत्तराखंड लोक समाज की ओर से प्रदान किए गए इस सम्मान में उन्हें 2 लाख 51 हजार रुपये नकद, सम्मान चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और अंगवस्त्र भेंट किए गए। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

नरेन्द्र सिंह नेगी संस्कृति सम्मान

सम्मान समारोह का उद्देश्य

उत्तराखंड लोक समाज ने यह संस्कृति सम्मान वर्ष 2024 में शुरू किया था। यह सम्मान लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड की आत्मा, संघर्ष और संस्कृति को स्वर दिया है। सम्मान का उद्देश्य उन साहित्यकारों, कलाकारों और समाजसेवियों को सम्मानित करना है जिन्होंने समाज और संस्कृति के क्षेत्र में विशेष योगदान दिया है।

मुख्यमंत्री का संबोधन: “नेगी जी ने उत्तराखंड की आत्मा को स्वर दिया”

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समारोह में कहा कि श्री नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने गीतों के माध्यम से उत्तराखंड के लोक जीवन की पीड़ा, प्रेम, संघर्ष और सौंदर्य को जीवंत किया है। उन्होंने कहा कि नेगी जी की रचनाओं ने राज्य की सांस्कृतिक चेतना को नई ऊर्जा दी है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार लोककला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए ठोस कदम उठा रही है।

उन्होंने कहा कि –

  • कोरोना काल के दौरान लगभग 3,200 सूचीबद्ध लोक कलाकारों को प्रतिमाह 2,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई।
  • राज्य सरकार लोक संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए छह माह की लोक प्रशिक्षण कार्यशालाओं का भी आयोजन कर रही है।
  • 60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध और अस्वस्थ लोक कलाकारों को प्रतिमाह 3,000 रुपये की पेंशन दी जा रही है।
  • सरकार हर छह माह में लोक कलाकारों की सूची तैयार कर रही है और उन्हें विभिन्न योजनाओं से जोड़ रही है

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि “उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान, साहित्य भूषण और लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार” जैसे सम्मानों के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्यकारों को राज्य स्तर पर भी लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है।

हरनोट का वक्तव्य: “संस्कृति और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक”

सम्मान ग्रहण करते हुए एस.आर. हरनोट ने इस पुरस्कार को हिमाचल प्रदेश को समर्पित किया और उत्तराखंड लोक समाज का आभार व्यक्त किया। उन्होंने अपने संबोधन में उत्तराखंड के धराली, हरसिल और चमोली क्षेत्रों के साथ सहस्त्रधारा में आई हालिया बाढ़ पर गहरी संवेदना व्यक्त की।

हरनोट ने कहा कि हिमाचल और उत्तराखंड दोनों ही राज्यों को प्राकृतिक आपदाओं ने बुरी तरह प्रभावित किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि –

“संस्कृति और पर्यावरण का गहरा रिश्ता है। जब-जब पर्यावरण प्रदूषित होगा, हमारी संस्कृति भी उसके साथ प्रदूषित और नष्ट होगी।”

उन्होंने चिंता जताई कि अनियोजित विकास, अंधाधुंध वन कटान, नदियों का दोहन, बहुमंजिला निर्माण और फोरलेन परियोजनाएं पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रही हैं। इससे न केवल हमारी प्राकृतिक धरोहर खतरे में है बल्कि हमारी संस्कृति भी प्रभावित हो रही है।

हरनोट ने कहा कि आज सबसे बड़ा विमर्श यही है कि हमें विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। उन्होंने कहा –

“विकास जरूरी है, लेकिन अगर वह असंतुलित और अवैज्ञानिक होगा तो वह विनाश का रूप ले लेता है। पहाड़ों और नदियों को बचाना आज समय की सबसे बड़ी जरूरत है।”

साहित्यकार की गहरी चिंता

हरनोट ने कहा कि हमने अपने ही हाथों से जंगलों को काटकर, नदियों को सुखाकर और पहाड़ों को खोखला करके अपनी जड़ों को नष्ट किया है। इसका असर अब न सिर्फ हमारे पर्यावरण पर बल्कि हमारी संस्कृति और सामाजिक जीवन पर भी स्पष्ट दिख रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते हमने कदम नहीं उठाए तो आने वाली पीढ़ियों को केवल “संवेदनाएं” ही सौंपने को बचेंगी।

सांस्कृतिक विरासत पर मुख्यमंत्री का जोर

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य की पारंपरिक जागर, बेड़ा, मांगल और खुदेड़ जैसी गीत-शैलियाँ हमारी जीवन शैली और भावनाओं को व्यक्त करती हैं। उन्होंने ढोल, दमाऊ, हुरका, मशाक, तुर्री और हारमोनियम जैसे वाद्य यंत्रों का उल्लेख करते हुए कहा कि ये हमारी सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत रखते हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड सरकार की लोक संस्कृति संरक्षण की योजनाओं की जानकारी दी और कहा कि आने वाले समय में इन प्रयासों को और भी व्यापक बनाया जाएगा।

समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस अवसर पर पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, एस.पी. सेमवाल, डॉ. नवीन बलूनी, डॉ. ईशान पुरोहित, अपर सचिव ललित मोहन रयाल सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे। समारोह में लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी की मौजूदगी ने कार्यक्रम को और भी विशेष बना दिया।

देहरादून का यह भव्य समारोह न केवल एक साहित्यकार का सम्मान था, बल्कि यह संदेश भी था कि संस्कृति और पर्यावरण एक-दूसरे के पूरक हैं। एस.आर. हरनोट की चिंताएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि विकास की दौड़ में हमें अपनी संस्कृति और प्रकृति दोनों को सुरक्षित रखना होगा। वहीं मुख्यमंत्री धामी के वक्तव्य से साफ है कि उत्तराखंड सरकार लोक कलाकारों और साहित्यकारों को सम्मानित कर राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है।

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