श्रीनगर में शिक्षकों की गूंजती आवाज़, सरकार पर तानाशाही का आरोप

 श्रीनगर (गढ़वाल), 28 सितंबर 2025। शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के गृह क्षेत्र श्रीनगर में रविवार को राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखंड की गढ़वाल मंडल कार्यकारिणी के आह्वान पर शिक्षकों की लंबित मांगों को लेकर एक विशाल रैली निकाली गई। नित मैदान से सुबह 11:20 बजे शुरू हुई यह रैली राष्ट्रीय राजमार्ग और मुख्य बाजार से होती हुई ऐतिहासिक गोल पार्क में जाकर समाप्त हुई। रैली में गढ़वाल मंडल के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए और सरकार की नीतियों के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

नेताओं के कड़े तेवर

गोल पार्क में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए राजकीय शिक्षक संघ ब्लॉक उपाध्यक्ष प्रवीण सिंह पवार और प्रांतीय अध्यक्ष राम सिंह चौहान ने सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों की समस्याओं के प्रति पूरी तरह उदासीन हो चुकी है और तानाशाही रवैया अपना रही है। लंबे समय से लंबित प्रकरणों का निपटारा न होने से शिक्षकों का पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने साफ कहा कि जब तक प्रधानाचार्य समिति और विभागीय भर्ती को निरस्त नहीं किया जाता, आंदोलन जारी रहेगा।

अब शिक्षक चुप नहीं बैठेंगे

प्रांतीय महामंत्री रमेश पैन्यूली ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार शिक्षकों के धैर्य की परीक्षा ले रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लंबित प्रकरणों का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।

इसी क्रम में मंडलीय अध्यक्ष श्याम सिंह सरियाल और मंडलीय मंत्री हेमंत पैन्यूली ने भी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया। उनका कहना था कि सरकार ने कई बार सकारात्मक रुख दिखाने का वादा किया, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे शिक्षकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

आंदोलन को मजबूती देने की अपील

सभा में प्रकाश चौहान, चंदन चौहान, सीमा पुंडीर, अनूप जोशी, शांति स्वरूप, महावीर जग्गी, संदीप नेगी, मस्तान कोठियाल, मीनाक्षी सती समेत कई पदाधिकारियों ने भी भाग लिया और आंदोलन को और मजबूती देने का आह्वान किया।

शिक्षा व्यवस्था पर असर

शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि उनकी मांगें वर्षों से लंबित हैं, जिससे न केवल शिक्षक वर्ग बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। उनका कहना था कि यदि सरकार वास्तव में शिक्षा के उत्थान को लेकर गंभीर है, तो उसे शिक्षकों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करना होगा।

कवि की चिंता: छात्रों का भविष्य अधर में

इस मौके पर एक युवा कवि ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा –

"मैं शिक्षकों की मांगों के समर्थन में हूं, लेकिन बोर्ड परीक्षाएं नज़दीक हैं और ऐसे में छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है। मैं सरकार और शिक्षकों दोनों से निवेदन करता हूं कि आपसी समझौते से रास्ता निकाला जाए ताकि छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे और बोर्ड परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत हों।"

गृह क्षेत्र में बगावती तेवर

गौर करने वाली बात यह रही कि यह रैली शिक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र में हुई, जिससे इसका राजनीतिक महत्व और भी बढ़ गया है। शिक्षकों ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब वे किसी भी परिस्थिति में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

प्रदेशव्यापी असर

विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीनगर की यह रैली सिर्फ गढ़वाल मंडल ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में एक बड़ा संदेश दे गई है – शिक्षक अपने अधिकारों के लिए एकजुट हैं और अब किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठेंगे।

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