श्रीनगर (गढ़वाल)। धारी देवी मंदिर परिसर को नेशनल हाईवे से जोड़ने वाले संपर्क मार्ग पर प्रशासन ने शुक्रवार की रात अचानक अभियान चलाकर चार से पाँच दुकानों को जेसीबी से ध्वस्त कर दिया। इस कार्रवाई को अतिक्रमण हटाओ अभियान का हिस्सा बताया जा रहा है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि प्रशासन ने कार्रवाई रातों-रात ही क्यों की? क्या इसे दिन में अंजाम नहीं दिया जा सकता था?
दुकानदारों का आक्रोश
अचानक चली इस कार्रवाई से स्थानीय दुकानदारों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि वे वर्षों से इन छोटी दुकानों से अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। लेकिन प्रशासन ने न तो कोई पूर्व नोटिस दिया और न ही कोई वैकल्पिक व्यवस्था। दुकानदारों का आरोप है कि रात में बुलडोज़र चलाकर प्रशासन ने उन्हें असहाय बना दिया।
ग्राम प्रधान धारी ने भी प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि –
- बिना नोटिस दिए कार्रवाई करना अनुचित है।
- रात्रि के समय बुलडोज़र चलाना संदेह पैदा करता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन का यही रवैया जारी रहा, तो ग्रामवासी आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।
प्रशासन का पक्ष
वहीं, इस मामले पर तहसीलदार श्रीनगर श्री दीपक भंडारी ने सफाई देते हुए कहा कि –
“लगातार स्थानीय लोगों द्वारा मार्ग पर दुकानों की संख्या बढ़ाई जा रही थी और अतिक्रमण हो रहा था। प्रशासन द्वारा पूर्व में कई बार दुकानदारों को अतिक्रमण हटाने की सूचना दी जा चुकी थी, लेकिन इसके बावजूद वे बाज नहीं आ रहे थे। इसलिए अतिक्रमण हटाने की यह कार्रवाई की गई है।”
बड़ा सवाल बाकी
प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तो कर दी, लेकिन अब भी बड़ा सवाल यही है कि आखिर यह कदम दिन के बजाय रात के अंधेरे में क्यों उठाया गया? स्थानीय लोग इस पर स्पष्ट जवाब की मांग कर रहे हैं।