देहरादून। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य की जनता को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाली एलयूसीसी चिटफंड कंपनी मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए इसकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर आर्थिक अपराध है, जिसमें हजारों निवेशकों की गाढ़ी कमाई दांव पर लगी है। लेकिन राज्य सरकार और स्थानीय पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। ऐसे में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए CBI को आदेशित किया जाता है।
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर आर्थिक अपराध है, जिसमें हजारों निवेशकों की गाढ़ी कमाई दांव पर लगी है। लेकिन राज्य सरकार और स्थानीय पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। ऐसे में स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए CBI को आदेशित किया जाता है।
क्या है एलयूसीसी चिटफंड घोटाला?
- याचिका के अनुसार, वर्ष 2014 से एलयूसीसी चिटफंड कंपनी ने उत्तराखंड के लोगों से "पैसा दुगना करने" और "बैंकों से अधिक ब्याज देने" का लालच देकर निवेश कराया।
- कंपनी ने भरोसा बढ़ाने के लिए स्थानीय लोगों को भी नौकरी पर रखा।
- वर्ष 2023-24 में जब निवेश लौटाने का समय आया, तो कंपनी 239 करोड़ रुपये लेकर फरार हो गई।
याचिकाकर्ता की दलील
- ऋषिकेश निवासी आशुतोष शर्मा ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा:
- राज्य सरकार ने न तो कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज कराई।
- न ही ठगे गए निवेशकों का पैसा वापस दिलाने का कोई प्रयास किया।
- इससे पहले भी कई चिटफंड कंपनियां उत्तराखंड की भोली-भाली जनता को ठग चुकी हैं।
- यदि समय रहते कदम न उठाए गए तो भविष्य में और भी लोग शिकार होंगे।
कोर्ट की टिप्पणी
- हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि:
- यह मामला व्यापक जनहित से जुड़ा है।
- करोड़ों रुपये की ठगी हुई है, लेकिन राज्य एजेंसियों ने उदासीनता दिखाई।
- ऐसे मामलों की जांच स्वतंत्र एजेंसी से होनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिल सके और जनता का विश्वास बना रहे।
आगे की कार्यवाही
- हाईकोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए CBI जांच के आदेश दिए।
- CBI अब कंपनी से जुड़े निदेशकों, एजेंटों और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेगी।
- पीड़ित निवेशकों का पैसा वापस दिलाने के उपाय भी तलाशे जाएंगे।
चिटफंड कंपनियों का जाल और जनता की ठगी
- उत्तराखंड समेत देश के कई राज्यों में बीते वर्षों में चिटफंड कंपनियों के जरिए लोगों से पैसा ठगने के मामले सामने आए हैं।
- इन कंपनियों का तरीका आमतौर पर "कम समय में ज्यादा मुनाफा" दिखाकर लोगों को फंसाना होता है।
- गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार इन योजनाओं में सबसे ज्यादा शिकार बनते हैं।
- नियामक एजेंसियों की निगरानी कमजोर होने से कंपनियां आसानी से गायब हो जाती हैं।
विशेषज्ञों की राय
- आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि:
- चिटफंड जैसी योजनाओं से जनता को सावधान रहना चाहिए।
- किसी भी निवेश को करने से पहले यह देखना जरूरी है कि कंपनी SEBI या RBI से पंजीकृत है या नहीं।
- सरकार को भी ऐसे मामलों पर त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए ताकि जनता का भरोसा न टूटे।
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