रुद्रप्रयाग (उत्तराखंड): ऊखीमठ तहसील के सैन्य बाहुल्य गांव तुलंगा के बेटे अखिलेश नेगी ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट अधिकारी बनकर अपने परिवार, गांव और समूचे रुद्रप्रयाग जनपद का नाम गर्व से ऊँचा कर दिया है। अखिलेश ने ACC (Army Cadet College) की कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त कर SSB इंटरव्यू भी उत्तीर्ण किया और ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी के लिए चयनित हुए। उन्हें ऑल इंडिया मेरिट में 36वां स्थान प्राप्त हुआ।
मां कुलदेवी और बाबा केदार की कृपा से साकार हुआ सपना
यह सफलता केवल मेहनत और समर्पण की ही नहीं, बल्कि मां राजराजेश्वरी (कुलदेवी), बाबा केदारनाथ और पितृदेवों की कृपा का भी परिणाम है। पूरे क्षेत्र, परिवार और ग्रामवासियों में इस गौरवशाली क्षण को लेकर अत्यंत हर्ष और गर्व की अनुभूति है।
परिवार में सैन्य परंपरा की समृद्ध विरासत
अखिलेश नेगी श्री मनमोहन सिंह नेगी के सुपुत्र हैं। उनके दादा स्व. कैप्टन श्री नारायण सिंह नेगी जी भारतीय सेना से आर्डिनरी कैप्टन के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। परिवार में पहले से ही कई सैन्य अधिकारी रह चुके हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कैप्टन श्री दीवान सिंह नेगी
- सुबेदार मेजर श्री जगमोहन सिंह नेगी
- सूबेदार श्री मकर सिंह नेगी
गांव तुलंगा से भी कई वरिष्ठ अधिकारी भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं, जिससे यह स्थान सैन्य परंपरा का गौरवशाली प्रतीक बन चुका है।
डॉ. जैक्स वीन नेशनल स्कूल से शुरुआत
अखिलेश नेगी ने अपनी शिक्षा कक्षा 3 से लेकर 12वीं तक डॉ. जैक्स वीन नेशनल स्कूल, गुप्तकाशी में पूरी की। स्कूल के छात्रावास में रहते हुए उन्होंने पढ़ाई, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बराबर भागीदारी निभाई। वे दो बार वॉलीबॉल नेशनल खेल चुके हैं और रंगमंच में भी उनकी गहरी रुचि रही है।
संघर्ष और प्रेरणा की कहानी
सेना में बतौर सिपाही भर्ती होने के बाद भी अखिलेश ने पढ़ाई जारी रखी। उन्होंने कठिन परिश्रम, त्याग और संकल्प के साथ अपने लक्ष्य को हासिल किया। उनके पिता श्री मनमोहन सिंह दिव्यांग हैं और माता श्रीमती जसदेई देवी एक गृहणी हैं। ऐसे में यह सफलता एक प्रेरणास्रोत बन गई है।
पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर
इस उपलब्धि पर विद्यालय के संस्थापक श्री लखपत सिंह राणा, प्राचार्य श्रीमती सुनीता देवी, चेयरपर्सन श्री मनोज बेंजवाल, श्री लखपत पुंडीर, श्री जितेंद्र नेगी, श्री आशीष राणा** सहित समस्त शिक्षक, अभिभावक और ग्रामवासी गौरव और आनंद से अभिभूत हैं।
जब अखिलेश ने स्वयं विद्यालय को फोन कर यह शुभ समाचार दिया, तो पूरे विद्यालय और केदारघाटी में गर्व और उल्लास का माहौल छा गया.