25 मई 2025, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की अहम बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के सफल क्रियान्वयन पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया और बताया कि कैसे प्रदेश ने संविधान के अनुच्छेद 44 को पहली बार जमीन पर उतारने का कार्य किया।
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि केवल चार माह के भीतर डेढ़ लाख से अधिक आवेदन यूसीसी पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं, और राज्य के 98% गांवों से लोगों ने प्रक्रिया में भागीदारी की है। उन्होंने इसे प्रदेशवासियों के उत्साह और लोकतांत्रिक चेतना का प्रतीक बताया।
तकनीक और पारदर्शिता से मजबूत हुआ सिस्टम
मुख्यमंत्री ने बताया कि यूसीसी को सुगम और सर्वसुलभ बनाने के लिए डिजिटल पोर्टल, मोबाइल ऐप और 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) को जोड़ा गया है। आवेदन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ऑटो एस्केलेशन और ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम भी लागू किया गया है।
प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को जताया आभार
सीएम धामी ने यूसीसी के सफल कार्यान्वयन में मार्गदर्शन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताते हुए कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने वादा किया था कि जनादेश मिलने पर उत्तराखंड में यूसीसी लागू किया जाएगा। वचन के अनुसार, जीत के बाद पहले दिन से ही इस दिशा में कार्य शुरू किया गया।
जन परामर्श से तैयार हुआ ऐतिहासिक बिल
27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में समिति गठित की गई, जिसने राज्य के सभी 13 जिलों में जन परामर्श कर 2.32 लाख सुझाव एकत्र किए। समिति ने आम नागरिकों से लेकर राजनीतिक दलों और आयोगों तक से संवाद स्थापित किया।
11 मार्च 2024 को राष्ट्रपति की स्वीकृति, 27 जनवरी 2025 को लागू
उत्तराखंड विधानसभा में 7 फरवरी 2024 को यूसीसी विधेयक पारित हुआ, जिसे राष्ट्रपति महोदया ने 11 मार्च को स्वीकृति प्रदान की। 27 जनवरी 2025 से उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया जिसने समान नागरिक संहिता को कानून के रूप में लागू किया।
यूसीसी से होगा महिला सशक्तिकरण, कुप्रथाओं पर रोक
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यूसीसी किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि समाज में व्याप्त कुप्रथाओं—जैसे हलाला, इद्दत, बहुविवाह, तीन तलाक, बाल विवाह—पर रोक लगाने का संवैधानिक उपाय है।
साथ ही, यूसीसी के तहत बेटियों को संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं। विवाह, तलाक और उत्तराधिकार संबंधी कानून अब सभी नागरिकों के लिए समान होंगे।
जनजातियों को दिया विशेष संरक्षण
अनुच्छेद 342 के अंतर्गत सूचीबद्ध अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी से बाहर रखा गया है, ताकि उनकी परंपराएं और संस्कृति संरक्षित रह सकें।
लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य
यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे युगलों के लिए पंजीकरण अनिवार्य किया गया है, जिसकी सूचना माता-पिता या अभिभावकों को दी जाएगी। यह प्रक्रिया गोपनीय रहेगी और युवा पीढ़ी की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
धामी बोले - ये समरसता और समानता की दिशा में क्रांतिकारी कदम
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यूसीसी देश में वास्तविक समानता की नींव रखता है। यह न सिर्फ महिलाओं और बुजुर्गों के अधिकारों को मजबूत करता है, बल्कि भविष्य की सामाजिक संरचना को भी न्यायपूर्ण और संगठित बनाता है।